विष्णु आरती (Vishnu Aarti)

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विष्णु चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है (चालीसा = 40 छंद), जो भगवान विष्णु को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और त्रिमूर्ति में "पालक" के रूप में जाने जाते हैं। भक्तजन इसे शांति, समृद्धि, सुरक्षा और आध्यात्मिक उत्थान के लिए पाठ करते हैं।

श्री विष्णु आरती 

आरती
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

जो ध्यावे फल पावे
दुख विनसे मन का।
स्वामी दुख विनसे मन का
सुख संपत्ति घर आवे
सुख संपत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी।
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर
तुम पालक मेरे।
स्वामी तुम पालक मेरे
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवा करूं तेरी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

आरती तेरी जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे
कहत ‘शिवानंद’ स्वामी
कहत ‘शिवानंद’ स्वामी
सुख-संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

 

 

 

 

Vishnu Aarti

Om Jai Jagdish Hare
Swami Jai Jagdish Hare
Bhakta janon ke sankat
Daas janon ke sankat
Kshan mein door kare
Om Jai Jagdish Hare

Jo dhyave phal paave
Dukh vinse man ka
Swami dukh vinse man ka
Sukh sampatti ghar aave
Kasht mite tan ka
Om Jai Jagdish Hare

Maat pita tum mere
Sharan gahun kis ki
Swami sharan gahun kis ki
Tum bin aur na dooja
Aas karun jis ki
Om Jai Jagdish Hare

Tum pooran parmatma
Tum antaryami
Swami tum antaryami
Parabrahma parmeshwar
Tum sab ke swami
Om Jai Jagdish Hare

Tum karuna ke sagar
Tum palak mere
Swami tum palak mere
Main moorakh khal kami
Karun seva teri
Om Jai Jagdish Hare

Aarti teri jo koi nar gaave
Swami jo koi nar gaave
Kahat Shivanand Swami
Sukh sampatti paave
Om Jai Jagdish Hare

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